चक्की खड्ड का जलस्तर बढ़ने दौरान एकदम से पुल टूट गया। पुल टूटने से कांगड़ा घाटी रेल का संपर्क भी पूरी तरह से कट गया है। हालांकि रेलवे विभाग ने बीते माह के दौरान ही पठानकोट से जोगेंद्रनगर ट्रैक पर चलने वाले रूट बरसात के चलते बंद कर दिए थे, क्योंकि रेलवे की टीम ने इस पुल काे असुरक्षित घोषित कर दिया था।
जानकारी के मुताबिक इस रेलवे पुल के गिरने का मुख्य कारण ही अवैध खनन है।खनन माफिया ने पुल के आगे पीछे दोनों और अवैध खनन कर करके चक्की खड्ड के बहाव को ही सिकोड़ दिया है। जो चक्की खड्ड पहले मीटरों फैलकर बहती थी वह अब सिकुड़ चुकी है। इसी के चलते यह हादसा हुआ है।
हालांकि कांगड़ा घाटी रेल का लाभ उठाने वाले लोगों को पहले उम्मीद थी कि बरसात थमने के बाद रेल सेवा शुरू हो जाएगी और वह लोग सस्ती रेल यात्रा कर पाएंगे। लेकिन अब इस पुल के गिर जाने से बरसात के बाद भी कांगड़ा घाटी रेल बहाल नहीं हो पाएगी।
प्रदेश में 101 मकान क्षतिग्रस्त
मानसून की बारिश से 101 मकान तबाह हो गए हैं। लोगों से ऐसे वक्त में उनका आशियाना छीन गया, जब बारिश से बचने के लिए छत की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। 380 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। कई परिवार ऐसे हैं, जिनकी रातें मकान क्षतिग्रस्त होने के भय में बीत रही हैं। 55 दुकानें, 16 लेबर शेड, 321 गौशालाएं और 37 घाट भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।217 लोगों की सड़क हादसों, बादल फटने, बाढ़, भूस्खलन इत्यादि से जान जा चुकी है। शिमला जिला में सबसे ज्यादा 35 लोगों की मृत्यु और कुल्लू में 31 लोगों की जान गई है।
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