हिमाचल प्रदेश में बिजली महंगी होने की संभावना काफी बढ़ गई है। बता दे की राज्य बिजली बोर्ड ने विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में 8.73 फीसदी की बढ़ोतरी मांगी है। और 487 करोड़ के राजस्व घाटे का हवाला देते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 6000 करोड़ के वार्षिक राजस्व की जरूरत बताई गई है। बीते बर्ष के मुकाबले इस बार बोर्ड ने 882 करोड़ से अधिक मांग की है। और बोर्ड की मांगों को आयोग पूरा करता है तो साथ ही प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं को अप्रैल से झटका लग सकता है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्तमान में 50 हजार करोड़ से अधिक राशि के कर्ज में डूबी हुई है। और बिजली बोर्ड के आय के साधन कम और व्यय अधिक होने से घाटा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बोर्ड ने आयोग को भेजी पिटीशन में हिमाचल प्रदेश के 21 लाख घरेलू उपभोक्ताओं और 30 हजार औद्योगिक घरानों को दी जाने वाली बिजली सप्लाई को 8.73 फीसदी की दर से बढ़ाने की मांग की है। बर्ष 2019 में आयोग ने बोर्ड के 5117.95 करोड़ के वार्षिक राजस्व जरूरत को पूरा करने के लिए घरेलू बिजली प्रति यूनिट पांच पैसे और उद्योगों को दी जाने वाली बिजली को दस पैसे प्रति यूनिट की दर से बढ़ाया था।
और इसके बावजूद बोर्ड को 2019-20 में 487.88 करोड़ का घाटा हुआ है। ऐसे में बोर्ड ने 2020-21 के लिए 6000.52 करोड़ के वार्षिक राजस्व जरूरत का प्रस्ताव आयोग को भेजा है। बोर्ड की याचिका पर आने वाले दिनों में नियामक आयोग स्थिति स्पष्ट करेगा। बता दें कि साल 2017-18 और 2018-19 में घरेलू बिजली की दरें नहीं बढ़ाई थीं। साल 2016 में घरेलू बिजली साढ़े तीन फीसदी महंगी हुई थी।
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