देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल में आज से शक्तिपीठों और धार्मिक स्थलों में जयकारे गूंजेंगे। बता दे की कोरोना काल के बीच पांच माह के बाद श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक स्थल आज से खुल जाएंगे। और इसी के साथ आस्था और भक्ति के प्रतीक प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी, श्री नयनादेवी, बज्रेश्वरी, चामुंडा, ज्वालाजी के अलावा भीमाकाली और माता बालासुंदरी समेत बाबा बालकनाथ मंदिर, और ऐतिहासिक पांवटा साहिब गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं के जयकारे गूंजने लगेंगे। और इससे छोटे-मोटे कारोबार से जुड़े कई हजारों लोगों में भी उत्साह है।
चार सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक की मीटिंग में धार्मिक स्थल खोलने का फैसला लिया था। और इसे लेकर भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किया गया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में जिला प्रशासन ने धार्मिक स्थल खोलने के लिए तय एसओपी के तहत तैयारियों का अमलीजामा पहनाया गया है। हिमाचल की राजधानी शिमला में संकटमोचन, तारादेवी और जाखू मंदिर के कपाट वीरवार सुबह खुल जाएंगे।
सराहन में स्थित प्रसिद्ध मां भीमाकाली मंदिर में सुबह सात से शाम साढ़े छह बजे तक भक्तों को माता के दर्शन करने की अनुमति रहेगी। और शाम सात बजे मंदिर के कपाट बंद होंगे। मां चिंतपूर्णी का दरबार सुबह 9 से शाम 7 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। और श्रद्धालु प्रसाद ले जा सकेंगे, परन्तु इसे चढ़ाने पर मनाही रहेगी। वही श्री नयना देवी जी मंदिर में रोजाना एक हजार श्रद्धालु दर्शन कर पाएंगे। आपको बता दे की मंदिर में 60 साल से अधिक और 10 साल से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के प्रवेश पर अभी रोक रहेगी। शक्तिपीठ बज्रेश्वरी मां के दर्शन भक्त सुबह सात से शाम सात बजे तक करेंगे।
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