भारत में जब भी प्राकृतिक सोन्दर्ये का जीकर आता है तो हिमाचल प्रदेश का नाम जरूर लिया जाता है। जहा के और हिमाचल प्रदेश
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हरी भरी चादर से ढकी कुल्लू – मनाली घाटीया
कुल्लू घाटी को पहले कुलंतापीठ से जाना जाता था। जिसका अर्थ है रहने यौग्य अंतिम स्थान। आपको आस्चर्य होगा कुल्लू का उल्लेख रामायण, महाभारत और विष्णु पुराण जैसे महाकाव्यों में भी किया गया है। त्रिपुरा के एक निबासी विहंगमणि पाल के द्वारा खोजे गए पहाड़ी स्थल का इतिहास पहली सदी का है।
कुल्लू में देखने योग्य
- कुल्लू का दशहर – Kullu Dussehra
- 17 वीं शताब्दी का रघुनाथ जी का मंदिर
- हरी भरी चादर से लिपटे मैदान
- रोरिक कला दीर्घा
- ऊरुसवती हिमालय
- लोक कला संग्रहालय
- बिजली महादेव मंदिर
- काली बाड़ी मंदिर
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हिमाचल प्रदेश के मनाली की अदभुत निराली दुनिया
पहले आपको बताना चाहुगा के मनाली का नाम मनु अर्थात मानव जाति के पिता के अबास पर पड़ा। कहा जाता है मनु ने अपने निबास के लिए ऐसा पर्यावरण चुना जो हर तरह से अदभुत सौंदर्य और मन को शांति देना वाला था। उसे आज मनाली के नाम से जाना जाता है। मानली के बीचो बिच निकली ब्यास नदी दूर दूर से आये पर्यटकों को खूब लुभाती है।
मनाली में देखने योग्य
- अर्जुन गुफा
- रोहतांग दर्रा
- नाग्गर किला
- हिडिम्बा देवी मंदिर
- रहला झरनें
- सोलंग घाटी
- मानिकरण
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