हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कर्ज की सीमा को 3 से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने का विरोध किया गया। बता दे की गुरुवार को सदन में विधेयक पर चर्चा के समय कांग्रेस विधायकों ने हंगामा कर दिया। माकपा विधायक राकेश सिंघा, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, किन्नौर से कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी, शिलाई से कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन सिंह, तथा डलहौजी की कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने इस विधेयक को पारित करने के प्रस्ताव का काफी विरोध किया।
और इस बीच सदन में सत्तापक्ष तथा विपक्ष में काफी नोकझोंक होती रही। और विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार हिमाचल प्रदेश को कर्ज में झोंक रही है। और यह हिमाचल की जनता से न्याय नहीं है। और कर्ज लेकर व्यवस्था चलाई जाएगी, तथा लोगों पर कर का बोझ डाला जाएगा। और साथ विपक्ष के इन सदस्यों ने इसे काले कानून की संज्ञा दी। और इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने वाकआउट कर लिया। तथा शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अगर कर्ज से ज्यादा खर्च हो जाता है तो विधानसभा से उसे पारित करना होता है।
हिमाचल प्रदेश का अपना अधिनियम है। और यह एक तकनीकी मामला है। 2019-20 के खर्च को नियमित करने का मामला है। तथा यह एक बार की ही रिलेक्सेशन है। साथ ही सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हम कांग्रेस की गलती को सुधार रहे हैं। और कांग्रेस ने प्रदेश को कर्ज में डुबोया है।
बता दे की वाकआउट के बाद विपक्ष नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कर्ज की लिमिट डबल करने का कानून बर्दाश्त नहीं किया जायेगा । हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए आज काला दिन है। और सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इस कानून को संख्या बल के आधार पर पास ना किया जाए। और कानून को वापस लेकर सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। हिमाचल प्रदेश सरकार का सारा मंत्रिमंडल नई दिल्ली जाकर केंद्र सरकार से एक मुश्त हिमाचल के कर्ज को माफ करने की मांग उठाए
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